न जाऊँ मैं मंदिर,, न जाऊँ शिवाला

न  जाऊँ  मैं  मंदिर,, न  जाऊँ  शिवाला
मैं  पूजु  उसे  जिसने,  मुझको  है पाला।

अपनों से  ज्यादा, मानता  हूँ मैं  उसको
बूरे  वक्त में  जिसने, है मुझको संभाला।

सुख - शांती  कभी न, मिलती है उनको
जो छिनते है दूसरों के, मुँह का निवाला।

लेकर के ब्याज करते, बेबस गरीब  को
वो  हो  साहूकार,  या  हो  कोई  लाला।

सारी दुनिया की खुशी, मिलेंगी"एहसास"
करके देखो गरीबों  के  घर  में  उजाला।

रितेश डी नायक "एहसास"
खेड़ली बाजार (मुलताई)
मध्यप्रदेश

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